मैं 7 अक्तूबर को 2626 डाउन केरला एक्सप्रेस से नयी दिल्ली से वर्धा के लिए रवाना हुआ था | इस ट्रेन के सेवाग्राम पहुँचने का नीयत समय 8 अक्तूबर को सुबह 05:03 मिनट था | लेकिन मुझे सुबह 04:56 मिनट पर मेहमानों को विश्विद्यालय तक लाने क़ी जिम्मेवारी सँभालने वाले छात्र श्री धनेश जोशी के फोन ने यह आभास दिलाया क़ी मेरी ट्रेन लेट है | इसके बाद श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी का 05:14 मिनट पर फोन आया और मुझसे पूछा गया क़ी आप कहाँ पहुँच गयें हैं | इन दो फोन कालों से मुझे यह आभास हो गया क़ी मेहमानों क़ी अगवानी हार्दिक रूप से क़ी जा रही थी | खैर मैं लगभग एक घंटा लेट सुबह 06:15 बजे सेवाग्राम पहुंचा जहाँ मेरा इंतजार एक समर्पित छात्र श्री धनेश जोशी कर रहें थें और उन्होंने मुझे सम्माननीय तरीके से विश्वविध्यालय के प्रांगन के कमरा नंबर 24 में पहुँचाया | वर्धा आना मेरे लिए कुछ अभूतपूर्व यादों और मुलाकातों भरा रहा जिसका उल्लेख मैं जरूर करना चाहूँगा ...इनमे सबसे पहले मैं सेवाग्राम आश्रम तथा विनोबा निवास क़ी यात्रा का वर्णन करना चाहूँगा ...
10 अक्टूबर को आयोजकों ने हमलोगों के लिए सेवा ग्राम आश्रम भ्रमण की व्यवस्था की थी इसलिए हमलोग सुबह सात बजे सेवाग्राम के लिए रवाना हो गये वहां पहुँचने पर बस से उतरने के बाद सेवाश्रम के मुख्य द्वार के पास लिया गया समूह फोटो ... |
1-सेवाग्राम आश्रम - यह आश्रम पूरी तरह मिट्टी से जुड़ा हुआ लगा जहाँ आज देश को कंक्रीट के जंगल में तब्दील करने की भयानक साजिश रची जा रही है लोभी और स्वार्थी राजनीतिज्ञों तथा उद्योग पतियों द्वारा वही इस आश्रम में मिट्टी से जुरे सामग्री के प्रयोग से ही इस आश्रम की देखभाल और निर्माण कार्य किया जाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है | सबसे चौकाने वाली जानकारी ये है क़ी इस आश्रम को किसी सरकारी सहायता से नहीं बल्कि स्वाबलंबन के सिद्धांत के आधार पर 100 एकड़ ज़मीन में खेती से पैदा हुये उत्पाद के बिक्री , गौशाला में दुग्ध उत्पादन तथा खादी ग्रामोद्योग के उत्पाद के बिक्री के आय से संचालित तथा पोषित किया जा रहा है | इस आश्रम के संचालक श्री एम.एम.गडकरी जी से बातचीत से पता चला क़ी यह आश्रम पूरी तरह स्वाबलंबन ,सादगी तथा सेवा जो गांधी जी के सिद्धान्त है के आधार पर चलाया जा रहा है और सरकारी संचालन व्यवस्था के अवगुणों से पूरी तरह अछूता है |
2-महान परोपकारी और त्यागी आत्मा विनोबा भावे निवास आश्रम -
इस विनोबा निवास में मेरी मुलाकात श्री गौतम बजाज से हुयी जो मशहूर उद्योगपति श्री राहुल बजाज के परिवार के ही सदस्य हैं | जब मैंने उनसे पूछा क़ी क्या आप यहाँ के संचालक हैं ..? इस पर उनका जवाब था क़ी यहाँ कोई संचालक या व्यवस्थापक नहीं है | यहाँ क़ी सारी व्यवस्था सर्वसम्मति तथा सभी के विचारों और सुझाओं के आधार पर लिए गए फैसलों से चलायी जाती है | इस पर मैंने उनसे सवाल किया क़ी क्या कभी विवाद उत्पन्न नहीं होता ..? तो उनका जवाब था क़ी निःस्वार्थ तथा त्याग पर आधारित सोच वाले लोगों के बीच विवाद क़ी संभावनायें कम होती है | इतने में श्री गौतम बजाज कुछ ब्लोगरों द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र में जूते-चप्पल ले जाने क़ी वजह से उनकी ओर चल दिये और जूते-चप्पल को खुद अपने हाथ से उठाकर नीयत जगह रखकर ब्लोगरों को निर्देश दे गए क़ी वहाँ जूते-चप्पल ना ले जायें ...उनकी यह सादगी और शालीनता देख मेरा मन कृतज्ञता से भर गया और बिनोबा जी के साथ-साथ उनके अनुयायियों के लिए भी मन में अंकित सम्मान और प्रबल हो गया ... | इस देश क़ी सरकार खासकर मनमोहन सिंह जी,राहुल गांधी तथा सोनिया गांधी जी को इस निवास में जाकर कुछ दिन रहना चाहिए और व्यवस्था को जनतांत्रिक तरीके से कैसे चलाया जाता है इसकी पाठ जरूर पढनी चाहिए ....
महान त्यागमूर्ति विनोबा भावे आश्रम में रह रही आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली कुरता और घाघरा पहने बहन शांति कृपलानी जी जिनकी उम्र 72 साल है और वो इस विनोबा निवास में 53 वर्षों से रह रही है साथ में सारी में खरी है बहन निर्मला जी जिनकी उम्र 62 वर्ष है और वो 42 वर्षों से इस आश्रम में रह रही है ... इनसे बात कर महसूस हुआ क़ी वास्तव में यह त्याग और ब्रह्मचर्य का देश में पहला निवास स्थल है .... |
विनोवा निवास जहाँ बिना व्यवस्थापक के उत्तम व्यवस्था का संचालन होता है साफ-सफाई क़ी इतनी उत्तम व्यवस्था है क़ी पूरे देश क़ी सरकार को इस विनोबा निवास के व्यवस्था से प्रेरणा लेनी चाहिए ... |
महान त्याग मूर्ति विनोबा निवास से होकर बहती पवनार नदी के पानी क़ी बहती धारा जो मानो इस महान त्याग के मूर्ति विनोबा जी का ह़र वक्त चरण पखारती हुयी लोगों को त्याग और परोपकार के मार्ग को अपनाने को प्रेरित कर रही हो ... |
इस विनोबा निवास में मेरी मुलाकात श्री गौतम बजाज से हुयी जो मशहूर उद्योगपति श्री राहुल बजाज के परिवार के ही सदस्य हैं | जब मैंने उनसे पूछा क़ी क्या आप यहाँ के संचालक हैं ..? इस पर उनका जवाब था क़ी यहाँ कोई संचालक या व्यवस्थापक नहीं है | यहाँ क़ी सारी व्यवस्था सर्वसम्मति तथा सभी के विचारों और सुझाओं के आधार पर लिए गए फैसलों से चलायी जाती है | इस पर मैंने उनसे सवाल किया क़ी क्या कभी विवाद उत्पन्न नहीं होता ..? तो उनका जवाब था क़ी निःस्वार्थ तथा त्याग पर आधारित सोच वाले लोगों के बीच विवाद क़ी संभावनायें कम होती है | इतने में श्री गौतम बजाज कुछ ब्लोगरों द्वारा प्रतिबंधित क्षेत्र में जूते-चप्पल ले जाने क़ी वजह से उनकी ओर चल दिये और जूते-चप्पल को खुद अपने हाथ से उठाकर नीयत जगह रखकर ब्लोगरों को निर्देश दे गए क़ी वहाँ जूते-चप्पल ना ले जायें ...उनकी यह सादगी और शालीनता देख मेरा मन कृतज्ञता से भर गया और बिनोबा जी के साथ-साथ उनके अनुयायियों के लिए भी मन में अंकित सम्मान और प्रबल हो गया ... | इस देश क़ी सरकार खासकर मनमोहन सिंह जी,राहुल गांधी तथा सोनिया गांधी जी को इस निवास में जाकर कुछ दिन रहना चाहिए और व्यवस्था को जनतांत्रिक तरीके से कैसे चलाया जाता है इसकी पाठ जरूर पढनी चाहिए ....
महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविध्यालय के कुलपति श्री बिभूति नारायण रॉय ने ब्लोगरों को खुद अपने हाथ से प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया ...ब्लोगिंग के इतिहास में यह सदा याद किया जायेगा ... |
3- तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही क़ी ब्लोगरों को पहली बार ब्लोगिंग पर व्याख्यान या आलेख प्रस्तुत करने पर किसी केन्द्रीय विश्वविध्यालय के कुलपति के हाथ से प्रमाण-पत्र भी दिया गया | ब्लोगिंग के इतिहास में यह घटना सम्मान के साथ सदा याद किया जाता रहेगा |